It's a happy birthday.
Nov 2, 2013
Sep 29, 2013
Sep 1, 2013
On Ajmal Kasab by Soumya Malviya
क़साब
एक अरसा हो गया था क़साब
सुनते हुए तुम्हारा नाम
इस बीच ये भी पढ़ा अख़बारों में कि कब तुमने जम्हाई ली!
किसी सत्र में तुम मुस्कुराये भी शायद!
कुछ जिरह की अपनी तरफ़ से
अपने वकील से कहा कुछ
और भी बहुत कुछ सुना, पढ़ा, देखा तुम्हारे बारे में कई बार
इतना कि कुछ अपनापन सा हो गया था तुमसे!
जैसे हमारे असंदिग्ध नरक में तुम देर तक और दूर तक चलने वाला
कोई इंतज़ाम हो गए थे
समाचार चैनल आये दिन
तुम पर 'ओपिनियन पोल' चलाते थे
और ख़ुश थीं मोबाइल कम्पनियाँ की राष्ट्रहित में बटन दबाने को
कई तत्पर और तत्सम भारतीय
सदैव तैयार होते थे
पुटुर-पुटुर, पट-पट
दाहिने-बाएँ, दाहिने-बाएँ
पुटुर-पुटुर, पट-पट
फिर एक दिन अचानक
एक निष्कपट से लग रहे बुधवार को
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने
तुम्हें फाँसी पर लटका दिया
गहरी गोपनीयता में मगर,
चुपचाप, गुपचुप-गुपचुप
दम साधे रहस्य का तम साधे हुए
यरवदा जेल के गाँधी अनुप्राणित वातावरण में
तुम्हारी झूलती हुई देह वह अक्ष बनी
जिस पर थिर हुआ राजनीतिक संतुलन
और कुछ संतरियों, अधिकारियों और
एक सरकारी डॉक्टर के बीच
जनतंत्र शिरोमणि हुआ!
पर जो भी हुआ इस ख़ामोश-लबी के साथ क्यूँ हुआ
तुम कोई भगत सिंह तो थे नहीं !
कि जेल के दरो-दीवार तक इस फ़ैसले से
बग़ावत कर उठते
फिर ये एहतियात ये चुप्पा-घात क्यूँ?
शायद इसलिए कि प्रतिशोध
चाहे वह दुनिया के
सबसे बड़े लोकतंत्र ने ही क्यूँ न लिया हो
कहीं न कहीं लज्जास्पद भी होता है
क्या तुमसे इंतक़ाम लेकर
कुछ घंटों के लिए ही सही
आर्यावर्त शर्मसार हो गया था क़साब !
हत्या के बाद का चेतनालोप
वह जो कुछ देर के लिए हत्यारे को शून्य कर देता है ...
पता नहीं क्यूँ
पर लोकतंत्र की इस तरतीब से मुझे
भगत सिंह का ध्यान हो आया है
भगत सिंह, क़साब तुम जानते नहीं होगे शायद
वह बीसवीं सदी के बसंत का
एक क्रांतिचेता बीज था
तुम्हें तो यह कौल भी नहीं होगा
कि तुमने जो क्या वो क्यूँ किया
पर उसे क़साब, भगत सिंह को
वह जो गुजराँवाला पाकिस्तान में जन्मा था
उसे सब पता था
जैसे इतिहास की कच्छप गति
कब ख़रगोश की तरह हो जाती है
और किस तरह वह एक गहरे गढ्ढे में गिर जाता है
इसलिए क़साब भगत सिंह
एक कठिन चुनौती था
उसे मारा ब्रिटिश हुकूमत ने यूँ ही मुँह चुराकर
जैसे नवम्बर की एक सुबह
कुहासे का भेद छटने से पहले ही तुम्हें
फाँसी पर लटका दिया
पर तुम क़साब
कोई फ़लसफ़ाई इंक़लाबी तो थे नहीं
कार्गो पहने और कलाशनिकोव से अँधाधुंध गोलियाँ बरसाते
तुम किसी विडियो-गेम के मूर्तिमना पात्र जैसे मालूम हुए थे
और फिर ये मीडिया वाले तो तुम्हें
आतंकी का भी ओहदा नहीं देते क़साब
वे तो तुम्हे बंदूक़धारी या 'गनमैन' बुलाते हैं
तुम तो शायद बिना जाने ही मर गए
कि तुमने क्या किया
और ख़ुदा जाने जन्नत का एक पाक परिंदा बनने का
तुम्हारा सपना पूरा हुआ भी या नहीं
पर हम बहुत अच्छे से जानते हैं कि तुमसे हमें क्या मिला
तुमने हमें अमेरिकी 9/11 की तर्ज पर
अपना, ख़ालिस अपना 26/11 देकर
घटनाओं की दुनिया में स्वराज दिया क़साब
शायद इसीलिए तुम्हे गाँधी के जेल यरवदा ले गए थे ...
तुम शायद "एक्स " थे क़साब
जिसे गणित में सवाल हल करने के लिए फ़र्ज कर लेते हैं
तुमसे भी तो हल किये गए कई सवाल
जैसे कि चुस्त ही हुआ राष्ट्र का समीकरण,
धर्म के प्रमेय सिद्ध हुए,
सत्ता की खंडित ज्यामिति ने अपनी सममिति पा ली
इसीलिए शायद तुम्हें ठिकाने लगाने की योजना को
नाम दिया गया "ऑपरेशन एक्स" ...
क़साब फ़रीदकोट की धरती एक्स ही जनती है
और तुम जानते नहीं कि तीसरी दुनिया में कितने फ़रीदकोट हैं
धरती के चेहरे पर चकत्तों की तरह उभरे हुए
क़साब तुम्हारी मौत
कोई अंत नहीं, एक्स जैसे चरों की चरैवेति है ...
तुम तो मर गए क़साब
पर हमारे लिए कई सवाल पैदा कर गए हो
जैसे अगर विश्व के सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र का राष्ट्रपति
13 साल की उम्र में घरबदर हो गया होता
तो उसका क्या होता?
क्या तब भी उसे नोबेल का शांति पुरस्कार मिलता?
जिसे सर पर पहन कर वह यूँ ही ग़ज़ा पर हमले की ताईद करता?
जैसे वह पाकिस्तान में दरगाहें क्यूँ गिरा रहे हैं क़साब?
वैसे ही दरगाहें जिनमे घर से बेज़ार होने के बाद
तुमने कुछ रातें गुज़ारी थीं
जैसे चारमीनार से सट कर मंदिर बन गया है कैसे?
जैसे ये
जैसे वो
जैसे ये चिरायंध कैसी है क़साब
ये धुआँ कैसा है ...
Aug 12, 2013
Good Bad Ugly
Six months passed by and I am yet to start on my bullet-point agenda for the year 2013. Not even a speck of the TO DOs has been accomplished.
Indiscipline, lethargy, and lack of will power takes you from ground to the never ending abyss. This is reality of my case. May be Good people are exactly opposite, brimming with will power, hard work and dedication ?
Sky is good, ground is bad and abyss is ugly.
Indiscipline, lethargy, and lack of will power takes you from ground to the never ending abyss. This is reality of my case. May be Good people are exactly opposite, brimming with will power, hard work and dedication ?
Sky is good, ground is bad and abyss is ugly.
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