Jan 26, 2010

By Acharya Janakivallabh Shashtri

रुक गयी नाव जिस ठौर स्वयं, माझी, उसको मझधार न कह !

कायर जो बैठे आह भरे
तूफानों की परवाह करे
हाँ, तट तक जो पहुँचा न सका, चाहे तू उसको ज्वार न कह !

कोई तम को कह भ्रम, सपना
ढूँढे, आलोक-लोक अपना,
तव सिन्धु पार जाने वाले को, निष्ठुर, तू बेकार न कह !

[Today he accepted Padma Shree conferred upon him, after denying it at first. Born in 1916. He hails from Bihar.]