Dec 28, 2011

कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नज़र नहीं आती

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
वर्ना क्या बात कर नहीं आती

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती

काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब'
शर्म तुमको मगर नहीं आती...