By Anu (Main Ghumantu)
झाड़ू की सींक
और ऊन की कतरनों
बच्चों की फ्रॉक की फ्रिल से
निकालकर रखे गए
रेशमी धागों
गरारे के गोटों से
हम बनाएंगे
गुड़िया
एक गुड्डा भी
रूमाल की धोती
पहन लेगा
बची-खुची ईटों
और सूखे हुए पत्तों से
दोनों के लिए
बनाएंगे आठ कमरों
वाली मड़ैईया
लगाएंगे चांदनी,
चुनेंगे हरसिंगार
खाएंगे वो अंजीर
जिनके पत्तों पर
कल देखी थी
बैठी हुई एक इल्ली
गुड़िया गुड्डा ले जाएगी
इल्ली तितली बन जाएगी
वक़्त खाली हो जाएगा
घर मिट्टी मिल जाएगा
जो बाकी रह जाएगा
एक फ़ितना-सा दिल मेरा होगा
एक इतना-सा दिल तेरा होगा।
झाड़ू की सींक
और ऊन की कतरनों
बच्चों की फ्रॉक की फ्रिल से
निकालकर रखे गए
रेशमी धागों
गरारे के गोटों से
हम बनाएंगे
गुड़िया
एक गुड्डा भी
रूमाल की धोती
पहन लेगा
बची-खुची ईटों
और सूखे हुए पत्तों से
दोनों के लिए
बनाएंगे आठ कमरों
वाली मड़ैईया
लगाएंगे चांदनी,
चुनेंगे हरसिंगार
खाएंगे वो अंजीर
जिनके पत्तों पर
कल देखी थी
बैठी हुई एक इल्ली
गुड़िया गुड्डा ले जाएगी
इल्ली तितली बन जाएगी
वक़्त खाली हो जाएगा
घर मिट्टी मिल जाएगा
जो बाकी रह जाएगा
एक फ़ितना-सा दिल मेरा होगा
एक इतना-सा दिल तेरा होगा।